राजस्‍थान में स्‍वाइन फ्लू का कहर तेज

राजस्‍थान में स्‍वाइन फ्लू का कहर तेज

सेहतराग टीम

ठंड के इस मौसम में राजस्थान का बड़ा हिस्‍सा एच1एन1 फ्लू यानी स्‍वाइन फ्लू की चपेट में आ गया है। इस बीमारी ने इस वर्ष अब तक 70 लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। शुक्रवार 25 जनवरी को 5 और शनिवार 26 जनवरी को 3 और लोग इस बीमारी के कारण मौत के आगोश में चले गए।

दूसरी ओर राज्य भर में 84 और मरीजों में इस रोग की पुष्टि हुई है। इनमें जयपुर में 37, उदयपुर में 12, जोधपुर में 10 और बीकानेर में चार रोगी शामिल हैं। राज्य में अब तक कुल 1787 लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है।

राज्‍य सरकार ने तय किया है कि इस बीमारी पर काबू पाने के लिए अब जांच रिपोर्ट आने से पहले ही लक्षणों के आधार पर इस बीमारी के संदिग्‍ध मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ही टेमीफ्लू की खुराक दी जाएगी। टेमीफ्लू इस बीमारी की एकमात्र दवा है। आमतौर पर मरीज में स्‍वाइन फ्लू की पुष्टि होने के बाद मरीजों को ये दवा दी जाती है मगर राजस्‍थान में इस बीमारी को महामारी का रूप लेते देखकर सरकार ने लक्षणों के आधार पर संदिग्‍ध मरीजों को ये दवा देने का फैसला लिया है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, विभाग के आला अधिकारियों तथा पुणे स्थित नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की टीम के साथ हालात की समीक्षा की और इस आशय के निर्देश दिए।

बैठक में मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद निर्देश दिये कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर ही स्वाइन फ्लू का संदिग्ध मामला सामने आने पर जांच रिपोर्ट का इन्तजार किये बिना ही रोगी को एहतियात के तौर पर टेमीफ्लू की खुराक दी जाये। इस कदम का उद्देश्य शुरुआती स्तर पर ही उपचार सुनिश्चित करना है।

गहलोत ने कहा कि गर्भवती महिलाओं, बच्चों, वृद्धों सहित जिन लोगों के स्वाइन फ्लू की चपेट में आने की आशंका अधिक है उनके लिए व्यापक टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। उन्होंने जिला स्तर पर ही मशीनों के माध्यम से स्वाइन फ्लू की जांच की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए।

नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे से आई डॉ. मनदीप चड्ढा तथा वर्षा पाटीदार की टीम ने बताया कि वर्तमान में आ रहे स्वाईन फ्लू मरीजों के वायरस स्ट्रेन में कोई परिवर्तन नहीं हैं तथा उपचार में प्रयोग की जा रही दवा तथा बचाव हेतु वैक्सीन भी पूर्णतया प्रभावी हैं। दवा के प्रति कोई प्रतिरोध भी नहीं पाया गया है।

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